श्रीमति सरिता महेन्द्र जैन दान चिंतामणी की उपाधि से अलंकृत
श्रवणबेलगोल-श्रीक्षेत्र श्रवणबेलगोला में परम पूज्य सराकोद्धारक उपाध्याय श्री 1॰8 ज्ञानसागर जी महाराज व परम पूज्य आचार्य श्री1॰8 धर्म सागर जी महाराज कि शिष्या आर्यिका श्री 1॰5 शिवमति माताजी के सानिध्य व परम पूज्य कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी जी श्रवणबेलगोला के दिव्य नेतृत्व एंव क्षुल्ल्क अतुल्य सागर महारजा,श्री भट्टारक भानुकीर्ति स्वामी कंबदहल्ली,विचारपट्ट क्षुल्लक धर्मकीर्ति स्वामी श्रवणबेलगोला उपस्थित थे । में 5 मार्च 2॰11 से 7 मार्च 2॰11 तक वास्तुविधान एंव धाम संपोक्षण पूजा महोत्सव के समय श्रीक्षेत्र श्रवणबेलगोला व महोत्सव समिति की और से चैन्नई निवासी श्रीमति सरिता महेन्द्र कुमार जैन को उनके तीर्थ जीर्णोद्धार,त्यागी सेवा,जनकल्याण,महिला उत्थान ओर अनेक धार्मिक कायों में अपने धन का सदुपयोग किया,जिसके लिए आपको अभिनन्दन पत्र के साथ ही दान चिंतामणी की उपाधि से अलंकृत किया गया । इस अवसर पर श्रवणबेलगोला कुष्मांडिनी महिला समाज द्वारा भी दम्पति का स्वागत किया गया । श्रीमति सरिता महेन्द्र जैन दम्पति समाज व जनसेवा की अनेक राष्ट्रीय संस्थाओं में बडे पदो पर स्थित है । श्रीमती सरिता जैन देश की प्रख्यात समाजसेवी और धर्मपरायण श्राविकारत्न है । जिन्होने 35॰ प्राचीन तीर्थों का संरक्षण-संवर्धन स्वतः से किया है । वह देश की प्रमुख संस्थाओं द्वारा सम्मानित हुई है । वह श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष है,भारतवर्षीय तीर्थक्षेत्र कमेटी की उपाध्यक्ष के साथ-साथ देश की गणमान्य-संस्थाओं की ट्रस्टी और बोर्ड सदस्य है । समाज के राष्ट्रीय स्तर के अनेक कार्यक्रमों में आप की प्रमुख भुमिका रही है । जैसे श्रवणबेलगोला के 1993 के महामस्तकाभिषेक में आप मुख्य यजमान,2॰॰8 के महामस्तकाभिषेक में सौधर्म इन्द्र इन्द्राणी बने,महावीरजी के सह्स्त्राबदी महोत्सव एंव बीजापुर सह्स्त्रफणि पार्श्वनाथ में पंचल्याणक महोत्सव मे आप सौधर्म इन्द्र-इन्द्रणी बनकर आपने पूण्यार्जन किया था।
श्रीमति सरिता जैन का सम्बोधन
श्रीमति सरिता जैन ने अपने सम्बोधन में कहा कि आज जो में कर रही हूँ उसमें मेरे बच्चपन के गुरु श्री क्षुल्लक सहजानन्द वर्णी का आशीर्वाद तथा आचार्य श्री विद्यान्द जी महाराज व कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्ति स्वामी के मार्गदर्शन व प्रेरणा से ही कर रही हूँ । आज जो कुछ मैं हूँ सब इन्हीं के आशीर्वाद से हूँ । इनका मार्गदर्शन नही मिलता तो कुछ भी नही कर पाती मैं निमित्त मात्र हुँ,उर्जा व सोच तो इन ही गुरुओं की ही है । जैसा स्वामी जी का आदेश होता है वही मैं कर देती हूँ । आज जो कुछ कर रही हूँ उन सब मैं स्वामी जी का मार्गदर्शन है। यही भावना करती हूँ आगे भी इसी प्रकार का मार्गदर्शन मिलता रहे ।
महिला को आगे आना होगा
श्रीमति सरिता जैन ने कहा कि बच्चों को संस्कारीत बनाने के लिए महिलाओं को आगे आना होगा तभी हम अपनी संस्कृति बचा सकते हैं । बच्चों को धर्म व धर्मात्माओं का आदर करना सिखाना होगा तभी समाज,राष्ट्र में भाईचारे का वातावरण बनेगा । बच्चे कि प्रथम पाठशाल उसकी माँ होती है । हमे अपनी दिनचर्या बदलनी होगी तभी बच्चों की दिन चर्या बदल सकती है । घर में धर्म का वातावरण बनाने का काम हमें ही करना होगा क्यो कि हमें धर्मपत्नी कहा जाता है,हम धर्म की पत्नी है,परिवार को धर्म के मार्ग पर लगाना हमारा ही कर्तव्य है। सुख -दुःख का अनुभव परिवार के वातावरण पर निर्भर करता है । परिवार धर्म से संस्कारीत होगा तो दुःख में भी सुख का अनुभव कर लेगा,अगर धर्म के संस्कार नही होगे तो सुख में भी दुःख का अनुभव हो जाता है ।
एक जुट होने आह्वान
आज परिवार बिखते जा रहे है । सयुक्त परिवार की परम्परा समाप्त सी होती जा रही सब अलग रहना चाहते हैं । पहले घर में दादा-दादी होते थे तो वह हमें अपनी गलती पर ढात देते थे,हमे अपनी गलती का यह्सा कराते थे,हमे सही मार्गदर्शन देते थे । पर आप सयुक्त परिवार रहें ही नही,जिससे समाज में कुरीतिया फैल गई है । महिलाओं को आगे आकर वापस सयुक्त परिवार बनाने का संकल्प करना होगा । सयुक्त परिवार का महत्व बताना होगा तभी समाज व परिवार एक जुट हो सकता है । संगठन में ही शक्ति है यह समझाना होगा । हमारा दो परिवारों से रिश्ता होता है एक तो वह जहाँ हम पैदा हुए दुसरा वह जहाँ हम शादि होकर जाते हैं । वह हमारे लिए नया होता है सब नए रिश्ते होते हैं । उन्हे निभाना हमारा काम है,उस परिवार को संगठित बनाए रखना भी हमारा काम है,तभी हम एक अच्छी बहु ,बेटी कही जा सकती है ।
साधु सेवा
हमें साधुओ की आहार सेवा के लिए सदैव तैयार रहना होगा तभी तो घर में धर्म का वातावरण,संस्कार बने रहेगे,तभी हमारे बच्चों में धर्म का बीजारोपण होगा । त्यागी रहेगें तो त्याग का महत्व होगा,त्याग की भावना हमारी बनेगी । हमारे सचे मार्गदर्शक साधु ही हो सकते हैं
श्रवणबेलगोला में आराधना व अभिनंदन समारोह सम्पन्न यक्षी कुष्मांडिनी देवी के मन्दिर जीर्णोधार के बाद पुनः स्थापित
श्रवणबेलगोला-श्रीक्षेत्र श्रवणबेलगोला में परम पूज्य सराकोद्धारक उपाध्याय श्री 1॰8 ज्ञानसागर जी महाराज व परम पूज्य आचार्य श्री1॰8 धर्म सागर जी महाराज कि शिष्या आर्यिका श्री 1॰5 शिवमति माताजी के सानिध्य व परम पूज्य कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी जी श्रवणबेलगोला के दिव्य नेतृत्व में 5 मार्च 2॰11से 7 मार्च 2॰11 तक वास्तुविधान एंव धाम संपोक्षण पूजा महोत्सव सादर सम्पन्न हुआ । इस कार्यक्रम में राजस्थान से क्षुल्ल्क अतुल्य सागर महारजा,श्री भट्टारक भानुकीर्ति स्वामी कंबदहल्ली,विचारपट्ट क्षुल्लक धर्मकीर्ति स्वामी श्रवणबेलगोला उपस्थित थे ।
कार्यक्रम
5 मार्च शनिवार 2॰11 को जैन मठ मन्दिर में भगवान श्री 1॰॰8चन्द्रप्रभ स्वामी का अभिषेक, शुद्दि होम,वास्तु विधान,यागमंडल विधान,भगवान श्री 1॰॰8 नेमिनाथ,यक्ष श्री गोमेद,यक्षी श्री कुष्मांडिनी देवी एंव धर्मचक्रधारी सर्वाह्वायक्ष सहित रजत रथयात्रा निकाली गई।6 मार्च 2॰11 को भंडार बसदि में 24 तीर्थंकरों की कल्पध्रुम महाभिषेक व पूजा, चामुंडराय मंडप में श्री 1॰॰8 नेमिनाथ तीर्थंकर कि अष्टद्रव्य से पूजा एंव यक्षी श्री कूष्मांडिनी देवी का अष्टावदान सहित षोडशोपचार आराधना,त्यागियों का मंगल प्रवचन,दानियों का अभिनन्दन समारोह,महामंगलारती आदि कार्यक्रम हुए। 7 मार्च 2॰11को 1॰8 मंगल कलशों की शोभायात्रा,भगवान श्री 1॰॰8 चन्द्रप्रभ स्वामी का 1॰8 कलशों मंगल से महाभिषेक व पूजा,यक्षी ज्वालामालिनी और यक्षी श्री कूष्मांडिनी देवी की षोडशोपचार आराधना आदि कार्यक्रम सम्पन्न हुए । भरत नाट्ययय हासन के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गय । ा
जीर्णोद्धार के सहयोगी
कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक स्वामी जी की प्रेरणा से दिगंबर जैन मठ मन्दिर में स्थापित भगवान श्री1॰॰8 नेमिनाथ की यक्षी श्री कूष्मांडिनी देवी मन्दिर के जीर्णोद्धार में चैन्नई निवासी श्रीमति सरिता महेन्द्र जैन परिवार ने दान राशि का सहयोग प्रदान किया ।
प्रवचन
उपाध्याय श्री ज्ञान सागर महाराज ने कहा की बच्चों को संस्कार वाल बना होगा तभी समाज में धर्म का वातावरण बन सकता है । खान पीन जैसा होगा वैसा ही हमारा परिवार होगा । हमे आपने खानपान को ठीक करना होगा ।
स्वमीजी ने कहा कि मुनियों को आहर दान देने से सातिशय पुण्य का बन्ध होता है । श्रीमति सरिता महेन्द्र जैन दम्पति ने साधु सेवा,मन्दिर जीर्णोधार,जनसेवा,शिक्षा के क्षेत्र में एंव श्रीक्षेत्र श्रवणबेलगोला के लिए हमेशा समर्पित भाव से दान के सहयोग के लिए तैयार रहती है,श्रवणबेलगोला महामस्तकाभिषे 2॰॰6 के समय जितने साधुओं ने तमिलनाडू की यात्रा की उनकी पुरी सेवा कर अपने श्रावक धर्म का पालन किया। इसके अलावा भी आप ने बहुत काम किया है । इनसे प्रेरणा लेकर सभी दम्पतियों को प्रचानी मन्दिरों,मुनियों,शिक्षा,जनकल्याणक ओर संस्कार संस्कृति के संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए।
महोत्सव समिती
स्वागताध्यक्ष श्री आर.के.जैन मुंबई,अध्यक्ष भारत वर्षीय दि.जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी , कार्याध्यक्ष डी.आर.शाह इंडी, संयोजक जि.ए.महेन्द्र कुमार श्रवणबेलगोला थे ।
उपस्थित अतिथि
श्री सतीश जैन दिल्ली, श्री अजित जैन मुम्बई, श्री जितेन्द्र कुमार बैंगलुर, श्री विनोद बाकलीवाल मैसुर, श्री महावीर जैन नलुर,श्रीमति रानी सुरेश जैन बैंगलुर,श्रीमति विजया जैन,श्रीमति सोनिया जैन,कु.पीयु जैन,श्री कमल ठोलिया,श्रीमति नीशी ठोलिया,श्री उत्तम गोयल मुम्बई,श्रीमति मंजरी जैन श्रीमति बसंती जैन,श्रीमति उषा जैन,श्रीमति रानी जैन मैसुर,श्री डी.जी दौडमणि आदि उपस्थित थे । जिनका स्वागत महोत्सव समिति की और से किया गया । स्वागतभाष श्री जितेन्द्र कुमार जैन बैंगलुर दिया।
श्रीमती सरिता जैन चैन्नई कुन्दकुन्द भारती की ट्रस्टी मनोनीत
चैन्नई-श्रीमति सरिता जैन चैन्नई को सिद्धांत चक्रवर्ती आचार्य श्री विद्यानन्द जी मुनिराज ने देश की प्रख्यात शोध संस्था कुन्दकुन्द भारती का ट्रस्टी मनोनीत किया है । कुन्दकुन्द भारती दिल्ली मेँ प्राकृत भवन मेँ स्थित है । वहाँ से प्राकृत विद्या शोध पत्रिका का प्रकाशन होता है । आचार्य श्री के सानिध्य मेँ त्यागीजन प्राकृत ग्रंथो पर शोध करते है । खारवेल भवन मेँ एक वृहद ग्रंथालय की शोध कार्यो के लिएअ स्थापना की गई है । श्रीमती सरिता जैन चैन्नई के अग्रणी उद्योगपति और समर्पित समाजसेवी श्री भारतवर्षीय दिगबर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री महेन्द्र कुमार जैन की धर्मपत्नी है । वह देश की प्रख्यात समाजसेवी और धर्मपरायण श्राविकारत्न है ।जिन्होने 350 प्राचीन तीर्थोँ का संरक्षण-संवर्धन स्वतः से किया है । वह देश की प्रमुख संस्थाओँ द्वारा सम्मानित हुई है । वह श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष है, भारतवर्षीय तीर्थक्षेत्र कमेटी की उपाध्यक्ष के साथ-साथ देश की गणमान्य-संस्थाओँ की ट्रस्टी और बोर्ड सदस्य है । श्रीफल परिवार की और से हार्दिक बधाई ।